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सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता | Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi & PDF Free Download
All Topics – विषय सूची
भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण रत्न, श्रीमद् भगवदगीता एक अद्वितीय धार्मिक ग्रंथ है जिसने हजारों वर्षों से मानवता को आदर्श जीवन जीने की मार्गदर्शना प्रदान की है। इस ग्रंथ में विभिन्न धार्मिक, आध्यात्मिक और मानवीय विचारों को संगठित रूप से प्रस्तुत किया गया है, जो मनुष्य के जीवन को सद्गुणों से भर देने का मार्ग दिखाते हैं।
भगवदगीता: भारतीय साहित्य की महाग्रंथ का अद्भुत परिचय
भगवदगीता भारतीय साहित्य के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत आता है। यह ग्रंथ महाभारत के महायुद्ध के पहले दिन हुए वीर अर्जुन और उनके रथकार श्रीकृष्ण के बीच हुए संवाद को दर्शाता है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
इस दिलचस्प और महत्वपूर्ण संवाद में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य के प्रति प्रेरित किया और उसे जीवन के विभिन्न पहलुओं का सामर्थ्य दिखाया। इस ग्रंथ के माध्यम से मनुष्य अपने कर्तव्य का पालन करते हुए आत्मा को मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकता है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
अद्भुत उपदेश

भगवदगीता में श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अर्जुन को धर्म, कर्म, और जीवन के उद्देश्य की महत्वपूर्ण बातें सिखाई। उन्होंने यह समझाया कि मनुष्य को अपने कर्म में आसक्त नहीं होना चाहिए, लेकिन वह कर्म को छोड़कर भाग्य में नहीं बैठना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म का पालन करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह व्यक्ति को उसके अधिकारी कर्तव्यों की प्रतिबद्धता में मदद करता है।
जीवन के विभिन्न पहलुओं का संवाद
भगवदगीता में श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार किए गए हैं। इसमें मानव जीवन के सार्वभौमिक विचार शामिल हैं, जैसे कि कर्म, ध्यान, भक्ति, और ज्ञान। भगवान श्रीकृष्ण ने यह बताया कि जीवन में सफलता पाने के लिए ये सभी पहलु मिलकर काम करने चाहिए।
आध्यात्मिक मार्गदर्शन
भगवदगीता आध्यात्मिक मार्गदर्शन की एक अद्वितीय श्रेणी में आती है। इस ग्रंथ में मानव जीवन की उच्चता की ओर पहुंचने के लिए आत्मा के महत्वपूर्णता का जिक्र किया गया है। यहाँ पर आत्मा को अविनाशी और अजर बताया गया है जो शरीर के अतीत होकर भी बनी रहती है। इसके साथ ही आत्मा की नित्यता और अमरत्व का भी वर्णन किया गया है।
श्रीकृष्ण की उपदेश
भगवदगीता में महाभारत के युद्धकाण्ड के सेतु भाग में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आध्यात्मिक ज्ञान देने का कार्य संपन्न किया। यहां, हम देखते हैं कि कैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए उसकी मानसिकता को परिवर्तित किया और उसे धर्मयुद्ध की महत्वपूर्णता समझाई। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
कर्मयोग: कर्म का महत्व
गीता में कर्मयोग का अद्वितीय महत्व है, जो हमें कर्म के महत्व को समझाता है। कर्मयोग के अनुसार, हमें केवल कर्म करने का अधिकार है, लेकिन फल को हमें छोड़ देना चाहिए। यह हमें सही कर्म करने की प्रेरणा देता है और भाग्य पर आधारित नहीं होने के कारण हमें सकामता से मुक्ति दिलाता है।
भक्तियोग: देवों की उपासना का मार्ग
भक्तियोग गीता में उन लोगों के लिए मार्गदर्शन करता है जो भगवान की भक्ति में रमना चाहते हैं। यह मार्ग उन्हें अपने अंतरात्मा के साथ एकता महसूस करने का उपाय बताता है और उन्हें देवों के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
ज्ञानयोग: आत्मा की पहचान का मार्ग
ज्ञानयोग गीता में आत्मा के अद्वितीयता और उसके साक्षात्कार की महत्वपूर्णता को बताता है। यह मार्ग उन्हें आत्मा को जानने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करने की सलाह देता है और उन्हें आत्मा में निहित शक्तियों को समझने का तरीका सिखाता है।
समापन
श्रीमद् भगवदगीता एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक ग्रंथ है जो हमें जीवन के मूल सिद्धांतों को समझने में मदद करता है। इसमें विभिन्न योगों के माध्यम से मनुष्य को आध्यात्मिक सफलता के प्रति मार्गदर्शन दिया गया है, जो कि उसके जीवन को सफलता और सुखमय बनाने में मदद कर सकते हैं।
श्रीमद् भगवदगीता के पाठों का संक्षिप्त परिचय
पाठ 1: आरंभिक संजय संवाद
इस पाठ में महाभारत के युद्धकाण्ड की प्रारंभिक घटनाओं का संजय द्वारा वर्णन किया गया है। यहां पर दिखाया गया है कि युद्धभूमि पर अर्जुन ने अपने सामने अपने प्रियजनों को खड़ा होने के लिए देखा और विचलित हो गए।
पाठ 2: सांख्ययोग: आत्मा की पहचान
इस पाठ में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आत्मा के महत्व के बारे में बताया। वह उन्हें समझाते हैं कि आत्मा शरीर से अलग है और यह मृत्यु के बाद भी अमर है। इस पाठ में आत्मा के अद्वितीयता का ज्ञान दिया गया है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
पाठ 3: कर्मयोग: कर्म का महत्व
कर्मयोग में गीता ने कर्म के महत्व को बताया है। यहां उसने बताया है कि कर्म करना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन फल की परवाह नहीं करनी चाहिए। यहां उसने सकामता से मुक्त होकर सही कर्म करने का मार्ग प्रदर्शित किया है।
पाठ 4: ज्ञानयोग: आत्मा का ज्ञान
इस पाठ में ज्ञानयोग के माध्यम से आत्मा के अद्वितीयता का ज्ञान दिया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि आत्मा शरीर से अलग है और उसकी पहचान करने के लिए आत्मज्ञान की आवश्यकता है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
पाठ 5: कर्मसंन्यासयोग: कर्म का त्याग
इस पाठ में कर्मसंन्यासयोग के माध्यम से कर्म का त्याग करने की महत्वपूर्णता बताई गई है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि कर्म का त्याग करने से हम आत्मा की मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
पाठ 6: ध्यानयोग: मन की शांति
इस पाठ में ध्यानयोग के माध्यम से मन की शांति और संयम की महत्वपूर्णता बताई गई है। यहां श्रीकृष्ण ने ध्यान के माध्यम से आत्मा की पहचान करने का मार्ग प्रदर्शित किया है।
पाठ 7: भक्तियोग: भगवान की उपासना
भक्तियोग में भगवान की उपासना के माध्यम से आत्मा का साक्षात्कार करने का मार्ग बताया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने भगवान की महत्वपूर्णता और भक्ति के माध्यम से आत्मा की पहचान करने की महत्वपूर्णता बताई है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
पाठ 8: अक्षरब्रह्मयोग: अनन्त आत्मा का ज्ञान
इस पाठ में अक्षरब्रह्मयोग के माध्यम से अनन्त आत्मा के ज्ञान की महत्वपूर्णता बताई गई है। यहां श्रीकृष्ण ने आत्मा की अनन्तता का ज्ञान दिया है और उसके साक्षात्कार के लिए उपाय बताए हैं।
पाठ 9: राजविद्याराजगुह्ययोग: भगवान के रहस्य
इस पाठ में राजविद्याराजगुह्ययोग के माध्यम से भगवान के रहस्यों का प्रकाशन किया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य रूप की महत्वपूर्णता बताई है और उसके द्वारा भगवान के परम तत्व की पहचान करने की महत्वपूर्णता दिखाई है।
पाठ 10: विभूतियोग: भगवान की महिमा
इस पाठ में विभूतियोग के माध्यम से भगवान की महिमा और विश्व के विभिन्न प्रकार के रूपों की चर्चा की गई है। यहां श्रीकृष्ण ने भगवान की अद्भुतता और उसके साक्षात्कार की महत्वपूर्णता दिखाई है।
पाठ 11: विश्वरूपदर्शनयोग: दिव्य दर्शन
इस पाठ में विश्वरूपदर्शनयोग के माध्यम से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने दिव्य रूप का दर्शन कराया। यहां दिखाया गया है कि भगवान की अद्भुतता को देखकर अर्जुन चिंतित हो गए और उन्होंने अपने संकोच को छोड़कर भगवान के श्रेष्ठतम रूप का साक्षात्कार किया। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
पाठ 12: भक्तियोग: देवी-देवताओं की उपासना
इस पाठ में भक्तियोग के माध्यम से श्रीकृष्ण ने भगवान की उपासना के विभिन्न उपायों की चर्चा की गई है। यहां उसने बताया है कि भक्ति के माध्यम से भगवान के पास पहुँचने का सही तरीका क्या होता है।
पाठ 13: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग: देह-आत्मा विभाजन
इस पाठ में क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग के माध्यम से देह और आत्मा के बीच के अंतर की चर्चा की गई है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि देह केवल एक शारीर है, जबकि आत्मा अनन्त और अविनाशी है।
पाठ 14: गुणत्रयविभागयोग: तीनों गुणों का विवरण
इस पाठ में गुणत्रयविभागयोग के माध्यम से तीनों गुणों – सत्त्व, रजस्, और तमस् – के विवरण की गई है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि मनुष्य के विचार और कर्म इन तीनों गुणों में से प्रभावित होते हैं और उनका उद्धारण दिया है।
पाठ 15: पुरुषोत्तमयोग: उत्तम पुरुष का वर्णन
इस पाठ में पुरुषोत्तमयोग के माध्यम से उत्तम पुरुष के विशेषता और महत्व का वर्णन किया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि उत्तम पुरुष सभी प्राणियों का आदि और अंत होता है और उसका साक्षात्कार करने से मोक्ष प्राप्त होता है। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
पाठ 16: दैवासुरसम्पद्विभागयोग: दैवी और आसुरी स्वभाव
इस पाठ में दैवासुरसम्पद्विभागयोग के माध्यम से दैवी और आसुरी स्वभाव की चर्चा की गई है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि दैवी स्वभाव वाले लोग भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण रखते हैं, जबकि आसुरी स्वभाव वाले लोग मोह, अहंकार, और अधर्म में रहते हैं।
पाठ 17: श्रद्धात्रयविभागयोग: श्रद्धा के तीन प्रकार
इस पाठ में श्रद्धात्रयविभागयोग के माध्यम से श्रद्धा के तीन प्रकार का वर्णन किया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि मनुष्य की श्रद्धा उसके मनोबल को बढ़ाती है और उसके कर्मों की सफलता में मदद करती है।
पाठ 18: मोक्षसंन्यासयोग: त्याग का मार्ग
इस पाठ में मोक्षसंन्यासयोग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का वर्णन किया गया है। यहां श्रीकृष्ण ने बताया है कि मनुष्य को सही कर्मों के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह अपने आत्मा के साथ समर्पित रहने का मार्ग प्रदर्शित किया है।
इस रूपरेखा में हमने श्रीमद् भगवदगीता के पाठों के संक्षिप्त परिचय को देखा है। यह ग्रंथ मानवता के लिए अमूल्य उपदेशों का खजाना है और इसके पाठों के माध्यम से हम जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायक हो सकते हैं। “सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता, Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi”
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श्रीमद् भगवदगीता: प्रमुख प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1: भगवदगीता क्या है?
उत्तर: श्रीमद् भगवदगीता एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत आता है। यह गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया है और उसके धर्मयुद्ध में सहायता की है। इसमें जीवन, कर्म, धर्म, भक्ति, योग आदि पर उपदेश दिया गया है।
प्रश्न 2: भगवदगीता किस भाषा में लिखी गई है?
उत्तर: भगवदगीता को संस्कृत भाषा में लिखा गया है, जो कि प्राचीन भारतीय भाषा है और वेदों की भाषा मानी जाती है।
प्रश्न 3: गीता में कितने अध्याय होते हैं?
उत्तर: श्रीमद् भगवदगीता में कुल 18 अध्याय होते हैं, जो विभिन्न विषयों पर बात करते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान की महत्वपूर्ण बातें प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 4: गीता किस प्रकार के योगों पर आधारित है?
उत्तर: श्रीमद् भगवदगीता में तीन प्रकार के योगों का विस्तार है – कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग। ये योग व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
प्रश्न 5: क्या गीता केवल धार्मिक उपदेशों पर ही बात करती है?
उत्तर: नहीं, भगवदगीता केवल धार्मिक उपदेशों पर ही नहीं बल्कि जीवन के सभी पहलुओं पर बात करती है। यहां पर जीवन के मूल सिद्धांतों, सही कार्यक्षेत्र चयन, और आत्मविकास के विषय में भी उपदेश दिया गया है।
प्रश्न 6: गीता का महत्व क्या है?
उत्तर: श्रीमद् भगवदगीता मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है। इसमें आध्यात्मिक ज्ञान, सफलता के मार्ग, और सच्चे जीवन के तत्व प्रस्तुत किए गए हैं। यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसने लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित किया है।
प्रश्न 7: गीता का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: गीता आध्यात्मिकता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने का एक माध्यम है। यह व्यक्ति को उसकी आत्मा को समझने, आत्मा के साथ संवाद करने और उसकी आत्मा की पहचान करने में मदद करता है।
प्रश्न 8: गीता के उपदेशों का जीवन में कैसे अनुगमन किया जा सकता है?
उत्तर: गीता के उपदेशों को अपने जीवन में अनुगमन करने के लिए, आपको उन्हें समझने और उनके अनुसार आचरण करने का प्रयास करना होगा। आपके जीवन में संघर्षों, संघर्षों और उत्कृष्टता की परिस्थितियों में इन उपदेशों का प्रयोग करके आप एक सकारात्मक और आदर्श जीवन जी सकते हैं।
प्रश्न 9: गीता का व्यासपीठ पर क्या महत्व है?
उत्तर: गीता का व्यासपीठ पर महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसे महाभारत के युद्धकाण्ड में व्यास महर्षि द्वारा श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है। व्यासपीठ से गीता के उपदेशों का प्रसार हुआ और यह मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर बन गया है।
प्रश्न 10: गीता की शिक्षाएँ सिर्फ भारत में ही लागू होती हैं?
उत्तर: नहीं, गीता की शिक्षाएँ सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लागू हो सकती हैं। इसमें व्यक्त की गई मूल्यवान शिक्षाएँ मानवता के लिए अनुप्राणित करने की क्षमता है, और इसके उपदेश सभी मानवता के लिए उपयोगी हैं।
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